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वक्ता
परम पावन एक कुशल वक्ता है जो सिर्फ सत्य बोलते है और वह सत्य
लोगों की सामान्य धारणा से, सोच से, अतिक्रमण है, क्योकि सत्य झूठ से विचित्र होता है | सत्य विश्वास से भी अलग होता है | उनके शब्दों में
लोगों को सत्य के दर्शन होते है | सत्य शब्दों में प्रवाहित होता है उनके शब्द सत्य को परिलक्षित करते है जो वह देखते है जो वह अनुभव करते है प्रत्येक श्रण | वह अकथ्य को कथन करते है अपने शुद्ध रूप में बिना किसी निष्कपट और पूर्वाग्रह के बिना |
उनके वक्तव्य एक साथ कई आयामों को छूते है और कौन किस भाग के सत्य को देखता है यह सुनने वाले की अवस्था पर निर्भर करता है | परम पावन के दिव्य
वचनों में चमत्कारी प्रभाव है | उनके पवित्र शब्दों को सुनना अपने आप में एक विरला अनुभव है और सिर्फ श्रवण मात्र से ही श्रोता की सत्य की ओर यात्रा प्रारंभ हो जाती है और वह आत्मबोध को प्राप्त होता है | भ्रम से सत्य की ओर, जड़ता से चेतना की ओर की यात्रा सिर्फ परम पावन को सुनने मात्र से ही संभव हो जाती है | परम पावन बहुत ही
सशक्त वक्ता है जो पवित्र और दैवीय शांति, आनंद, उत्सव को उनके निकटतम रूप में अभिय्वक्त करते है | उनके शब्दों से मंत्रमुग्ध होकर श्रोता शब्दों को अतिक्रमित कर शब्दविहीनता की दशा में पहुंच जाते है और सत्य का प्रत्यक्ष अनुभव करते है | जो साधक, अन्वेषक सत्य के आग्रही है, जो सत्य को जानने की जिज्ञासा रखते है इस भ्रममय संसार जहाँ पर हर वस्तु दोषो से युक्त है वहाँ पर परम पावन के दिव्य शब्द साधक को राहत और सहायता प्रदान करने वाले है मार्गदर्शी बन जाते है |
परम पावन के शब्दों के जादू से श्रद्धालु, अनुयायी, शिष्य उच्च चेतनापूर्ण अवस्था का अनुभव करते हुए आलौकिक दुनिया में पहुंच जाते है | श्रवण मात्र से आप अस्तित्व के साथ स्वयं का समन्वय महसूस करते है और आपका द्वन्द्ध समाप्त हो जाता है | यह
श्रोताओं के लिये एक सर्वोकृष्ट उपहार है |